Tuesday, June 4, 2013

बिरबलाची हुशारी

अवश्य पड़ियेगा ।।।।

आज मै आप लोगो को एक शिक्षाप्रद कहानी सुनाता हु ।

किसी समय की बात है एक गाव मे एक गरीब आदमी अपनी पत्नी और एक बच्चे के साथ रहता था, एक दिन अचानक किसी दुर्घटना वश उस आदमी की मौत हो जाते है, और उसकी पत्नी बिल्कुल बेसहारा हो जाती है, उसके पास एक भैस रहती है जिसका दुध बेचकर वो महीला अपना और अपने बच्चे का पालन पोषण करती है ।।।

लेकीन अचानक एक दिन एक ब्राह्मण उस महीला के पास आकर कहता है कि आपके स्वर्गवासी पती ने मुझे वचन दिया था कि उनके पास एक भैस है और वो उस भैस को बेचकर उससे जो भी रकम प्राप्त होगी मुझे दान कर देंगे ।।।।

यह सुनकर महीला चौक जाती है, और ब्राह्मण से कहती है की उसके पती ने इसके बारे मे उससे कभी नही कुछ कहा ।।।

ये सुनकर ब्राह्मन क्रोधीत हो जाता है और कहता है कि मै एक ब्राह्मण हु और मै कभी झुठ नही बोलता, तेरे पती ने मुझे वचन दिया था कि वो इस भैस को बेचकर प्राप्त रकम मुझे दान मे देगा । चुकि अब तेरा पती नही रहा तो अब ये तेरा कर्तव्य है, की तु उसके वचन को पुरा करे ।।।

यह सुनकर वो महीला कहती है, कि मै यह वचन पुरा नही कर सकती, इसी भैस के दुध की आमदनी से मेरे परिवार का गुजारा होता है ।।

इस पर ब्रह्मण जवाब देता है कि तुझे उसका वचन पुरा करना हि होगा अन्यथा तेरे पती की आत्मा को शान्ती नही मिलेगी उसे अभी मुक्ती नही मिल सकेगी ।।
एसा कह कर वो ब्राह्मण उस लाचार महीला को धर्म संकट मे डाल देता है ।।।

कुछ दिनो के बाद ये बात बादशाह अकबर के दरबार मे पहूंचती है, बादशाह अकबर इस समस्या के निराकरण के लिये बिरबल को उस महीला के पास भेजते है ।

अब चतुर बिरबल उस महीला के पास जाकर पुरी स्थीती का आकलन करते है, और बिरबल देखते है कि उस महीला के बास एक पालतु बिल्ली भी है ।।
फिर बिरबल उस ब्राह्मण को बुलाकर समझाने की कोशीस करते है लेकिन ब्राह्मण अपनी बात पर अडींग रहता है, तो फिर बिरबल् भैस को निलाम करके प्राप्त राशी ब्राह्मण को देने का निश्चय करते है ।

फिर भैस की निलामी के लिये गाव के लोगो को इकट्ठा किया जाता है ।।
निलामी से पहले बिरबल एक शर्त रखते है वो उस महीला की पालतु बिल्ली को हाथ मे लेते हुए कहते है कि इस बिल्ली का भरण पोषण भी इसी भैस के दूध से होता है, अगर ये भैस चली जयेगी तो इस महिला कि तरह इस बिल्ली के पालन पोषण की भी समस्या पैदा हो जयेगी । अतः जो भी इस भैस को खरीदेगा उसे साथ मे ये बिल्ली भी खरीदनी पड़ेगी ।।

यह सुनकर गाव के लोग आश्चर्य मे पड़ जाते है भला बिल्ली को कौन ख्ररिदेगा ??

अब बिरबल उनकी किमत रखते है, बिरबल कहते है कि इस भैस किमत है 5 रुपए और इस बिल्ली की किमत है 600 रुपए ।।
गाव वालो मे से एक समझदार व्यक्ति उस भैस और बिल्ली को खरीद लेता है ।।

अब ब्राह्मण को पैसे देने कि बारी आती है, ब्राह्मण बड़ा खुश हो कर मुह से राल टपकाते हुए बिरबल के पास आता है ।।।

बिरबल उस ब्राह्मण को 5 रुपये दे देते है ।। यह देख ब्राह्मण कहता है कि यह क्या है, आप मुझे सिर्फ पाच रुपए दे रहे है ???

इस पर बिरबल उत्तर देते है, की इनके पती ने आपसे भैस की किमत दान करने का वचन दिया था बिल्ली की नही ।। सौदे के मुताबिक बिल्ली की किमत 600 रुपए है और भैस की किमत मात्र 5 रुपए है, जो की आपको दे दि गयी है ।।

यह सुन कर ब्राह्मण मुह लटका कर वहा से चला जाता है और बिरबल बाकी के 600 रुपए उस विधवा महीला को देते हुए कहते है कि इन पैसो से आप दुसरी भैस खरीद कर अपना और अपने परीवार का पालण पोषण कर सकती है ।।।

तो मित्रो इस कहानी से हम सभी को क्या सिख मिलती है ???

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